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Showing posts from February, 2019

लोकतंत्र पूंजीवाद का दूसरा रूप

लोकतन्त्र की आड़ में पूंजीवादी खेल कैसे चलता है एक उदाहरण से समझते हैं ----- समाजवाद के नाम पर एक पब्लिक सैक्टर कंपनी बनाई जाती है उस पर सरकारी पूंजी और प्राकृतिक संसाधनों की बारिश कर दी जाती है और ज्ञान बांटा जाता है कि इस कंपनी का उद्देश्य लोगों को रोज़गार देना है ध्यान दें कंपनी का उद्देश्य मुनाफ़ा कमाना नहीं रोज़गार देना है अब धीरे-धीरे कंपनी ने नाम कमा लिया पूरा इनफ्रास्ट्रक्चर तैयार मार्केट में नाम जम गया अब बकरा हलाल होने को एकदम तैयार है मतलब ये कि अब ये पब्लिक सैक्टर निजी हाथों में बेच दिए जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है लेकिन ऐसे अचानक से तो कंपनी को बेचा नहीं जा सकता तो फिर कंपनी की तुलना निजी कंपनियों से होना शुरू होता है मीडिया का पैड न्यूज़ चालू हो जाता है कि देखो निजी कंपनी इतना मुनाफ़ा कमा रही है और सरकारी कंपनी इतना ठूँसने के बाद भी ठीक से प्रॉफ़िट नहीं कमा रही नुकसान करवा रही है ये तो बोझ है फलाना ढेंकाना धीरे-धीरे आम जनता के दिमाग में भी बैठ जाता है कि वाकई सरकारी कर्मचारी तो निकम्मे ही होते हैं ----- अब इसके बाद सरकार उस कंपनी को modernize कर

भारत और आतंकवाद

भारत सरकार (फिर चाहे सत्ता में कोई भी हो) या तो खुद को धोखे में रखना चाहती है या फिर देश की जनता को आतंकवाद के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हल्ला करके कुछ हासिल नहीं होने वाला कम से कम आप अपने दुश्मन का तो कुछ भी नुकसान नहीं ही कर सकते क्यूंकि अंतर्राष्ट्रीय संबंध कभी भी दूसरे की आवश्यकता या समस्या पर निर्भर नहीं करते बल्कि हर देश एक दूसरे देश से अपनी जरूरत के आधार पर संबंध रखता है आपको क्या लगता है कि जो अमेरिका आज भारत के साथ खड़ा दिख रहा है क्या वाकई वो आतंकवाद के खिलाफ 'भारत के साथ' है या पाकिस्तान के खिलाफ है ? या फिर रूस ? या फिर दुनिया का कोई भी अन्य देश ? तो फिर आतंकी मुद्दे पर ये कहा जाना कि हम दुनिया में अपने दुश्मन को अलग-थलग कर देंगे ठीक वैसी ही बेवकूफी भरी बात है जैसे स्वतन्त्रता आंदोलन की असफलताओं पर हमारे इतिहासकार लिखते हैं कि भले ही आंदोलन अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाया लेकिन इसने दुनिया के सामने अँग्रेजी हुकूमत को बेनकाब कर दिया और इसके लिए मेरा इतना ही कहना है कि बेवकूफी दिखाना बंद करो दुनिया जानती थी कि अंग्रेज़ क्या थे आप नहीं जानते थ

रवीश की रिपोर्ट

NDTV वाले रवीश जी कल से गालियों वाले मैसेज के स्क्रीनशॉट सोश्ल मीडिया पर चिपकाए जा रहे हैं वैसे वो बड़े बुद्धिजीवी प्रजाति के जीव हैं इसलिए मैं सिर्फ इतना ही कहूँगा कि यदि कश्मीर में सेना पर पत्थर फेंकने वालों के लिए सेना और सरकार की नीतियाँ जिम्मेदार हैं तो फिर क्यूँ ना मोबाइल पर गाली-गलौज करने वालों के लिए रवीश कुमार और एनडीटीवी की खबरों को जिम्मेदार माना जाए ? यदि आतंकवादी भटके हुए नौजवान हैं तो ये गाली-गलौज करने वालों को क्यूँ भटका हुआ ना मान लें ? लॉजिक तो वही है ना ? ------ इसीलिए बेहतर है गलत को गलत कहना सीखें प्रसिद्धि पाने के लिए, राजनीतिक लाभ के लिए, अपने आकाओं की इच्छापूर्ति के लिए या पैसे कमाने के लिए गलत को सही कहेंगे तो कल को वही चीज़ घूम कर आपको भी चोट करेगी वैसे मुझे याद है रवीश जी जब दिल्ली की कुछ छात्राएँ प्रदर्शन के दौरान प्रधानमंत्री को भद्दी गालियां दे रही थीं और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पीटा था तो आप प्रदर्शनकारियों का पक्ष ले रहे थे तो ये जो गाली-गलौज की संस्कृति है ना इसे बढ़ावा देने में आपका भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान है

कमल हासन

बॉलीवुड वाले किस कदर दोगले होते हैं कमल हासन विश्वरूपम बनाता है कश्मीर भारत का हिस्सा है व्यवहार में कहता है कश्मीर में जनमत संग्रह होना चाहिए ----- जब आप अपने मनोरंजन के लिए इतने मरे जा रहे होते हो कि आप देश को ताक पर रख देते हो और ऐसे लोगों की फिल्में हिट करवाते हो तो सही मायने में आप अपने ही हाथ अपनी कब्र खोद रहे होते हो ------- वैसे बॉलीवुड में ये लॉस्ट बहुत लंबी है अगले बार फिल्म देखने जाने से पहले यह जरूर सोच लीजिएगा कि कहीं आप ऐसे लोगों की जेब तो नहीं भर रहे जिसकी कीमत कल को हमारे जवान चुकाएंगे मनोरंजन बड़ा है या देश इस पर विचार कीजिएगा

अभिव्यक्ति की आज़ादी

जो लोग लोकतन्त्र के समर्थक हैं उन्हें कमल हासन से लेकर उन तमाम लोगों की "अभिव्यक्ति की आज़ादी' पर ध्यान देना चाहिए और विचार करना चाहिए कि यह देश के लिए कितना खतरनाक है बिहार में एक मुस्लिम इंजीनियरिंग छात्र ने सोश्ल मीडिया पर आपत्तीजनक पोस्ट डाला पुलिस ने अंदर कर दिया तो कहता है कि फ़ालोवर्स बढ़ाने के लिए किया था यह कार्य सोचिए ! यह जो अभिव्यक्ति की आज़ादी बताई आ रही है वो किस दिशा में देश को ले जा रही है सस्ती लोकप्रियता के लिए आप देश बेच खाएं ! यह है लोकतन्त्र ??? विनोद दुआ की बेटी ने जो कहा है वो सही मायने में विनोद दुआ ने अपनी बेटी को क्या संस्कार दिया है यह बताता है और ये विनोद दुआ देश के जाने-माने पत्रकारों में से एक है ऐसे लोग पैदा किए हैं लोकतन्त्र ने रवीश कुमार ने फ़ेसबुक पर गालियों भरे संदेश का स्क्रीन शॉट डाला है निहायत ही भद्दी गालियां जो यदि किसी ने आपको लिखा हो तो आप कभी हिम्मत नहीं करेंगे कि उसका स्क्रीन शॉट लेकर सोश्ल मीडिया पर डालें एक सामान्य आदमी ऐसा नहीं कर सकता रवीश कुमार ने ऐसा क्यूँ किया ? क्या बताने कि उसे परेशान किया जा रहा है ? ना