लोकतन्त्र की आड़ में पूंजीवादी खेल कैसे चलता है
एक उदाहरण से समझते हैं
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समाजवाद के नाम पर एक पब्लिक सैक्टर कंपनी बनाई जाती है
उस पर सरकारी पूंजी और प्राकृतिक संसाधनों की बारिश कर दी जाती है
और ज्ञान बांटा जाता है कि इस कंपनी का उद्देश्य लोगों को रोज़गार देना है
ध्यान दें कंपनी का उद्देश्य मुनाफ़ा कमाना नहीं रोज़गार देना है
अब धीरे-धीरे कंपनी ने नाम कमा लिया पूरा इनफ्रास्ट्रक्चर तैयार मार्केट में नाम जम गया
अब बकरा हलाल होने को एकदम तैयार है
मतलब ये कि अब ये पब्लिक सैक्टर निजी हाथों में बेच दिए जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है
लेकिन ऐसे अचानक से तो कंपनी को बेचा नहीं जा सकता
तो फिर कंपनी की तुलना निजी कंपनियों से होना शुरू होता है
मीडिया का पैड न्यूज़ चालू हो जाता है
कि
देखो निजी कंपनी इतना मुनाफ़ा कमा रही है
और
सरकारी कंपनी इतना ठूँसने के बाद भी ठीक से प्रॉफ़िट नहीं कमा रही
नुकसान करवा रही है ये तो बोझ है फलाना ढेंकाना
धीरे-धीरे आम जनता के दिमाग में भी बैठ जाता है
कि
वाकई सरकारी कर्मचारी तो निकम्मे ही होते हैं
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अब इसके बाद सरकार उस कंपनी को modernize करने का प्रस्ताव सामने लाती है
बड़ा लोन दिलवा दिया जाता है कंपनी को
और धीरे-धीरे कंपनी बेचारी उस लोन के तले दब कर रह जाती है
अब फिर ज़ोर-शोर से हल्ला होने लगता है कि इतना खर्च करने के बाद भी कंपनी प्रॉफ़िट नहीं कमा पाई तो इसे बेच क्यूँ नहीं देते
ठीक है !
कंपनी को निजी हाथों में बेच दिए
तो कौन सा कोई उसको अपनी जेब से पैसे दे कर खरीद रहा है
जो ग्रुप इस पब्लिक सैक्टर को खरीदेगा
वो भी बैंक से लोन लेकर ही खरीदेगा
और उसके बाद
वो माल्या-नीरव मोदी सरीखे लोन दबा जाता है
जनता को पता ही नहीं चलता
मतलब
हमारे पैसे से सरकार ने एक कंपनी खड़ा किया
हमारे हिस्से के प्राकृतिक संसाधन वहाँ इस्तेमाल किया
फिर हमारे ही पैसे से कंपनी को लोन दिलवा कर घाटे में लाया
फिर हमारे ही पैसे से दूसरी बार लोन दिलवा कर निजी लोगों के हाथों में कंपनी को बेच भी दिया
अब सारा प्रॉफ़िट उस पूंजीपति की जेब में
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माल्या-नीरव मोदी तो सिर्फ वो चेहरे हैं जिन्हें आम जनता जान गई है
नहीं तो
वास्तविकता में यहाँ इनके जैसे हजारों पूंजीपति हैं
जो बैंक लोन लेकर अपना धंधा चला रहे
लेकिन लोन नहीं चुकाते
NPA का वास्तविक आंकड़ा तो शायद आज भी किसी को नहीं पता
और जितना पता है वो खुद ही बहुत भयानक है
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बेहतर होगा
दिमाग से पूंजीवादी कीड़ा निकाल दें
नहीं तो बहुत जल्दी सब कुछ बर्बाद हो जाएगा
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वैसे हाँ !
जानकारी के लिए बता दूँ
कि
इसका BSNL से कोई लेना देना नही है जिसको सरकार बेचने की फिराक में है।
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