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Showing posts from March, 2019
इलाहाबाद के एक विधायक राजू पाल की अतीक अहमद के गुंडों ने हत्या की थी (सन 2005)। अतीक अहमद समाजवादी पार्टी से उस समय सांसद थे। उसके कुछ साल बाद राजू पाल की विधवा पूजा पाल बसपा के टिकट से अपने पति के हत्यारोपी अशरफ(अतीक अहमद के भाई) को हराकर विधायक बनी थीं। जनता ने इमोशनल होकर उनको थोक में वोट दिया था (सन 2007)। अब खबर ये आई है कि पूजा पाल फिलहाल उसी समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ रही हैं जिसके सांसद ने उसके पति की सरेआम हत्या करवाई थी (सन 2019)। जब पति के हत्यारों से हमारे राजनीतिज्ञ समझौता कर सकते हैं तो आप समझ लीजिए देश के साथ वो क्या करेंगे? सत्ता चीज ही ऐसी है जिसका चश्का एक बार लग जाये तो रिश्ते तक बेमानी हो जाते हैं... बाकी जनता का क्या है? उसके माथे पर तो कैपीटल C लिखा ही हुआ है।

सरकारी नौकरी

दरअसल अंग्रेजों के दौर से भारत में एक बहुत ही गलत प्रवृत्ति ने जन्म लिया और वो है नौकरी करना शान की बात है दरअसल अंग्रेजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को इस बुरी तरह बर्बाद कर दिया कि रोजगार के अधिकांश अवसर ही समाप्त हो गए दुर्भाग्य की बात यह है कि आज़ादी के बाद भी यह मनोरोग देश में बाकायदा बना रहा और बढ़ता ही चला गया और यही कारण है कि देश में बेरोजगारी बढ़ती चली गई सवा सौ करोड़ लोगों को दुनिया की कोई सरकार नौकरी नहीं दे सकती यह तो तय है और आबादी जितनी तेजी से बढ़ रही है उतनी तेजी से नई नौकरियों का सृजन करना भी असंभव सा है ऐसे में स्व-रोजगार, उद्यमिता को बढ़ावा देकर ही लोगों के लिए रोजगार के अवसर जुटाए जा सकते हैं ---- सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जब आपका प्रधानमंत्री सामने आ कर कहता है तो आपको वह कार्य करने में शर्म नहीं आती और आपको टोकने वालों का भी मुंह बंद होता है सीधे शब्दों में कहूँ तो अर्थव्यवस्था में वो जो सामाजिक जकड़न थी जो 70 सालों से चली आ रही थी उसे तोड़ने का प्रयास किया है मोदी ने

पाकिस्तान को जवाब

पुलवामा हमले का बदला पूरा हो गया क्या ? मतलब एक बार वहाँ घुस कर बम फोड़ दिए और काम हो गया ? या पूरा घटनाक्रम महज राजनीतिक स्टंट था ? सवाल उठना लाज़मी है क्यूंकि यह तो सभी जानते हैं कि इतने मात्र से पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है वस्तुतः सच्चाई तो यही है कि प्रायः-प्रायः रोज हमारे सैनिक हताहत हो रहे हैं ऐसे में महज एक छोटा सा हमला क्या पर्याप्त है ? कूटनीति एक तरफ है और कूटनीति का लाभ सिर्फ इस बात के लिए है कि हम जब पाकिस्तान को कुटें तो बाकी दुनिया शांति से बैठ कर तालियाँ बजाए इसके अलावा पाकिस्तान के परिपेक्ष्य में कूटनीति का और कोई लाभ नहीं है यदि कोई शक-शंका हो तो इतिहास उठा कर देख लीजिए ऐसे में हाथ आए मौके को इस प्रकार से जाने देना ???? तो इसका तो सिर्फ एक ही अर्थ निकलता है कि आपने राजनीतिक लाभ के लिए ही कार्यवाही किया