पुलवामा हमले का बदला पूरा हो गया क्या ?
मतलब एक बार वहाँ घुस कर बम फोड़ दिए
और काम हो गया ?
या पूरा घटनाक्रम महज राजनीतिक स्टंट था ?
सवाल उठना लाज़मी है
क्यूंकि यह तो सभी जानते हैं कि इतने मात्र से पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है
वस्तुतः सच्चाई तो यही है कि प्रायः-प्रायः रोज हमारे सैनिक हताहत हो रहे हैं
ऐसे में महज एक छोटा सा हमला
क्या पर्याप्त है ?
कूटनीति एक तरफ है
और
कूटनीति का लाभ सिर्फ इस बात के लिए है
कि
हम जब पाकिस्तान को कुटें
तो बाकी दुनिया शांति से बैठ कर तालियाँ बजाए
इसके अलावा पाकिस्तान के परिपेक्ष्य में कूटनीति का और कोई लाभ नहीं है
यदि कोई शक-शंका हो तो इतिहास उठा कर देख लीजिए
ऐसे में
हाथ आए मौके को इस प्रकार से जाने देना ????
तो इसका तो सिर्फ एक ही अर्थ निकलता है
कि
आपने राजनीतिक लाभ के लिए ही कार्यवाही किया
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